खुद की फर्जी मौत के लिए दोस्त को उतारा मौत के घाट, 1 करोड़ की बीमा राशि के लिए हैवान बना शख्स…

तमिलनाडु के चेन्नई से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक व्यक्ति ने 1 करोड़ रुपये के बीमा भुगतान का दावा करने के लिए अपनी मौत की…

खुद की फर्जी मौत के लिए दोस्त को उतारा मौत के घाट, 1 करोड़ की बीमा राशि के लिए हैवान बना शख्स…

तमिलनाडु के चेन्नई से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है।

यहां एक व्यक्ति ने 1 करोड़ रुपये के बीमा भुगतान का दावा करने के लिए अपनी मौत की झूठी कहानी रची। यही नहीं, इसके लिए उस शख्स ने अपनी तरह दिखने वाले एक व्यक्ति की हत्या तक कर दी।

पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। मामले के सिलसिले में आरोपी और उसके दो दोस्तों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस के अनुसार, अयनावरम के निवासी सुरेश हरिकृष्णन ने जीवन बीमा पॉलिसी में 1 करोड़ रुपये का दावा करने के लिए अपनी फर्जी मौत की योजना बनाई थी।

फिर उसने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर संभावित बॉडी डबल के रूप में अपनी ही उम्र के एक ऐसे व्यक्ति की तलाश शुरू कर दी, जो शारीरिक रूप से उसके जैसा दिखता हो।

पुलिस के मुताबिक, तीनों ने दिलीबाबू नाम के एक शख्स को खोजा। दिलीबाबू को आरोपी सुरेश दस साल पहले से जानता था। वह भी अयनावरम का निवासी था।

फिर सुरेश ने दिल्लीबाबू और उसकी माँ से दोस्ती कर ली और नियमित रूप से उनसे मिलने जाता था। 13 सितंबर को, तीनों दिल्लीबाबू को शराब पिलाने के लिए पुडुचेरी ले गए।

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने कहा, वे दिलीबाबू को चेंगलपट्टू के पास एक खाली भूखंड पर ले गए जहां उन्होंने पहले से ही एक खेत में झोपड़ी बना रखी थी।

बताया जाता है कि 15 सितंबर की रात सुरेश ने शराब के नशे में दिलीबाबू का गला घोंट दिया और झोपड़ी में आग लगा दी। इसके बाद वह मौके से भाग निकला।

जब सुरेश फरार हो गया, तो उसके परिवार ने मान लिया कि वह आग में मर गया है और उसका अंतिम संस्कार कर दिया।

इस बीच, दिल्लीबाबू की मां लीलावती ने अपने बेटे की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया।

16 सितंबर को पुलिस को एक जली हुई झोपड़ी के अंदर एक जला हुआ शव मिलने की सूचना मिली। जांच करने पर उस व्यक्ति का नाम सुरेश निकला। उन्हें बताया गया कि उनका शव उनकी बहन ने ले लिया है और अंतिम संस्कार किया गया है।

हालांकि, लीलावती ने पुलिस को सूचित किया था कि जिस दिन उसका बेटा सुरेश के साथ लापता हुआ था, उस दिन वह उसके साथ बाहर गया था और उसने आखिरी बार अपने बेटे से सितंबर में बात की थी।

इस सुराग पर कार्रवाई करते हुए पुलिस सुरेश के गांव गई, जहां उसके रिश्तेदारों ने कहा कि वह मर चुका है।

पुलिस को पता चला कि सुरेश, जिसे सितंबर में मृत मान लिया गया था, वह ही दिल्लीबाबू की मौत के लिए जिम्मेदार था। पुलिस ने दोनों के सेलफोन का पता लगाया और पाया कि जली हुई झोपड़ी के पास उनके फोन सिग्नल एक्टिव थे।

जब उन्होंने उसके कुछ दोस्तों का पता लगाया तो उन्होंने पाया कि सुरेश जीवित है। पूछताछ करने पर सुरेश और कीर्ति राजन ने दिलीबाबू की हत्या की बात कबूल कर ली। पुलिस ने अपराधियों को गिरफ्तार कर सोमवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।