चंद्रयान-3 की लैंडिंग के 6 महीने बाद खुशखबरी, अमेरिकी प्राइवेट कंपनी ने कर दिया कारनामा…

अंतरिक्ष की दुनिया से बड़ी खबर सामने आई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब एक निजी कंपनी ने चांद की सतह पर अपना लैंडर उतारा है। यह कारनामा करने वाली…

चंद्रयान-3 की लैंडिंग के 6 महीने बाद खुशखबरी, अमेरिकी प्राइवेट कंपनी ने कर दिया कारनामा…

अंतरिक्ष की दुनिया से बड़ी खबर सामने आई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब एक निजी कंपनी ने चांद की सतह पर अपना लैंडर उतारा है।

यह कारनामा करने वाली अमेरिकी कंपनी ने इतिहास रच दिया है।

इंटूइटिव मशीन्स नाम की ह्यूस्टन की यह कंपनी है। खास बात यह भी है कि भारत के इसरो की ओर से चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग के करीब 6 महीने बाद यह खुशखबरी आई है।

भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान उतारने वाला दुनिया का पहला देश बना था। इससे कुछ दिन पहले रूस का मानवरहित लूना-25 अंतरिक्ष यान अनियंत्रित होकर चंद्रमा पर गिर गया था।

ऐसे में चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को दुनिया भर में सराहा गया था। 

अमेरिकी कंपनी ने मून लैंडर को ओडेसियस नाम दिया जो चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ उतारा है। यहां यह बताना जरूरी है कि लैंडर को उतारते वक्त कंट्रोलर्स का उसके साथ संपर्क कुछ पलों के लिए टूट गया था।

हालांकि, अच्छी बात यह रही कि जल्द ही इससे दोबारा सिग्नल मिलने लगे। फ्लाइट डायरेक्टर का नाम टिम क्रेन है। उन्होंने सफल लैंडिंग की जानकारी देते हुए कहा, ‘हम यह पुष्टि करते हैं कि हमारा उपकरण चांद की सतह पर पहुंच चुका है।

ये हमें वहां से सिग्नल भी भेज रहा है।’ वहीं, कंपनी के सीईओ स्टीव आल्टेमस ने अपनी खुशी का इजहार करते हुए कहा, ‘चांद पर स्वागत है, ओडेसियस को नया घर मिला है।’

चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 80 डिग्री साउथ की ओर लैंडिंग खास
बता दें कि ओडेसियस को पिछले हफ्ते फ्लोरिडा के केप केनावेराल लॉन्च स्टेशन से लॉन्च किया गया था। इसने धरती से चांद तक पहुंचने के लिए 3 लाख 84 हजार किलोमीटर की दूरी तय की है।

ओडेसियस ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 80 डिग्री साउथ की ओर लैंड किया है। यह वही इलाका है जहां अमेरिका अपने मानव मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना चाहता है।

US फिलहाल आर्टेमिस मिशन पर काम कर रहा है। इसका मकसद इंसान को चांद पर उतारना है। साथ ही लंबे वक्त तक चांद पर इंसान के रहने की व्यवस्था भी की जाएगी।

ऐसे में प्राइवेट यान की सफल लैंडिंग को चांद से जुड़े भविष्य के मिशनों के लिए काफी अहम माना जा रहा है।