चुनाव तो बहाना है, जीतेगा वही सेना का पिट्ठू; पाकिस्तान में इलेक्शन पर क्या कह रहा वहां का मीडिया…

 पाकिस्तान में ठीक शाम पांच बजे मतदान समाप्त होने के बाद मतगणना शुरू हो चुकी है। भारत के पड़ोसी मुल्क में उसी दिन मतदान और मतगणना का रिवाज है। वोटिंग…

चुनाव तो बहाना है, जीतेगा वही सेना का पिट्ठू; पाकिस्तान में इलेक्शन पर क्या कह रहा वहां का मीडिया…

 पाकिस्तान में ठीक शाम पांच बजे मतदान समाप्त होने के बाद मतगणना शुरू हो चुकी है।

भारत के पड़ोसी मुल्क में उसी दिन मतदान और मतगणना का रिवाज है। वोटिंग के दौरान कई मतदान केंद्रों पर भारी झोल देखने को मिला।

सुबह आठ बजे के बजाय 11 बजे तक कई जगहों पर मतदान शुरू नहीं हो पाया। लोगों की शिकायत पर इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने पाक चुनाव आयोग से मतदान की अवधि बढ़ाने की मांग की लेकिन, आयोग ने इस मांग को ही अस्वीकार कर दिया।

इसके अलावा मतदान के दौरान देश भर में मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं के बाधित होने से राजनीतिक दल परेशान हो गए और मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता पर संदेह पैदा कर रहे हैं।

पाक मीडिया ने उनके हवाले से कहा है कि पार्टियां आशंकित हैं कि चुनाव तो सिर्फ बहाना है और जीतेगा तो सिर्फ सेना का पिट्ठू ही।

पाक मीडिया की रिपोर्ट है कि सेना का पूरा सपोर्ट नवाज शरीफ के साथ है। इसलिए उनके जीतने की पूरी संभावना है।

दरअसल, पाकिस्तान में हमेशा से सत्ता पर बैठे राजनीतिक पार्टियों पर सेना का प्रभाव रहा है। 

इमरान खान ने 2018 में प्रधानमंत्री पद संभाला था। ऐसा दावा किया जाता है कि इमरान को गद्दी तब मिल पाई थी क्योंकि तत्कालीन सेना चीफ कमर जावेद बाजवा का हाथ उनके सिर पर था।

हालांकि कार्यकाल पूरा होने से पहले ही बाजवा और इमरान में बिगड़ गई और इमरान को अपनी गद्दी से हाथ धोना पड़ा। अब बाजवा की जगह असीम मुनीर आ चुके हैं।

सेना प्रमुख तो बदल गया लेकिन, पाकिस्तान में हालात नहीं बदले। पाकिस्तानी मीडिया लगातार दावा करता रहा है कि इस बार जनता का पूर्ण समर्थन नवाज शरीफ के साथ है।

हालांकि सच्चाई इसके ठीक उलट है। जनता का साथ हो या न हो लेकिन, सेना इस बार नवाज शरीफ के सिर पर हाथ रखे हुए है और दूसरी तरफ सेना पर उंगली उठाने वाले इमरान खान जेल में बंद हैं।

चुनाव के दौरान पूरे दिन न फोन चला न इंटरनेट
जियो टीवी की रिपोर्ट है कि देशभर के 95 हजार से ज्यादा केंद्रों में वोटों की गिनती चल रही है। चुनाव के दौरान सबसे बड़ा झोल यह रहा कि 8 फरवरी को चुनाव के दौरान पूरे देश में न मोबाइल चला और न ही इंटरनेट सेवा।

आम चुनावों में इस व्यवधान के बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने मुख्य न्यायाधीश काजी फ़ैज़ ईसा को एक पत्र भी लिखा।

राजनीतिक दलों ने चिंता जताई कि चुनाव के नाम पर देश की जनता के साथ अन्याय किया जा रहा है। लोग अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।

तमाम राजनीतिक पार्टियों ने इस कार्य के पीछे सेना और नवाज शरीफ की पार्टी PML-N की मिलीभगत की आशंका जताई है।

चुनाव के दिन ही आतंकी हमला
पाकिस्तान में चुनाव के दौरान ही आतंकवादी हमला हुआ है। चुनाव के दिन देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसा की घटनाएं हुई हैं। बलूचिस्तान में आज दो बम धमाके हुए। इस आतंकवादी हमले में 4 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।

मतदान केंद्रों में भारी झोल
पाकिस्तान में मतदान के दौरान भी कई केंद्रों में भारी झोल देखने को मिला। पीटीआई ने आरोप लगाया कि उनके गढ़ों वाले मतदान केंद्रों पर सुबह 11 बजे तक भी मतदान शुरू नहीं हो पाया था।

जबकि वोटिंग टाइम सुबह 8 बजे निर्धारित था। लोगों को वोट नहीं देने दिया। इसके अलावा पार्टी ने आरोप लगाया कि कई जगह लोग बिना वोट के ही घर चले गए।

इस आधार पर पीटीआई ने चुनाव आयोग से मतदान का समय बढ़ाने का अनुरोध किया था लेकिन, आयोग ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया।