मुइज्जू को सताया कुर्सी जाने का डर! पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, महाभियोग के लिए विपक्ष ने फिट किया गणित…

मालदीव की राष्ट्रपति की कुर्सी पर विराजने के बाद से मोहम्मद मुइज्जू भारत से लगातार पंगा ले रहे हैं। चीन से नजदीकियां और भारत से दूरी रखने वाली मुइज्जू सरकार…

मुइज्जू को सताया कुर्सी जाने का डर! पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, महाभियोग के लिए विपक्ष ने फिट किया गणित…

मालदीव की राष्ट्रपति की कुर्सी पर विराजने के बाद से मोहम्मद मुइज्जू भारत से लगातार पंगा ले रहे हैं।

चीन से नजदीकियां और भारत से दूरी रखने वाली मुइज्जू सरकार के रवैये से नाराज विपक्ष ने अब उन्हें ही सत्ता से हटाने की तैयारी कर ली है। विपक्षी दल मोहम्मद मुइज्जू को हटाने के लिए संसद में महाभियोग ला रही है।

विपक्ष ने महाभियोग के लिए पूरा गणित तैयार कर लिया है। विपक्ष को पूरा यकीन है कि मुइज्जू की विदाई लगभग तय है क्योंकि, मौजूदा स्थितियों के तहत मुइज्जू को हटाने के लिए विपक्ष के पास पर्याप्त संख्याबल भी दिख रहा है।

उधर, अपनी सरकार बचाने के लिए छटपटाए मुइज्जू ने मालदीव के सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 

मालदीव स्थित सन ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, मुइज्जू सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने संसद के स्थायी आदेशों में हालिया संशोधन पर मालदीव सुप्रीम कोर्ट से मामले में हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।

सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि पिछले साल नवंबर में, मोहम्मद मुइज्जू के नेतृत्व वाली मालदीव सरकार में शीर्ष पद संभालने के लिए सात सांसदों ने संसद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, चुनाव आयोग ने उपचुनाव न कराने का फैसला किया।

इस स्थिति का फायदा उठाते हुए मुख्य विपक्षी एमडीपी, जिसके पास संसद में बहुमत है, ने संसद के स्थायी आदेशों में संशोधन किया ताकि सीटें खाली न रहें। 

सन ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, सांसदों की कुल संख्या के निर्धारण को लेकर सत्ताधारी दल की तरफ से विरोध दर्ज किया गया है।

वर्तमान में, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर महाभियोग चलाने के लिए मालदीव की संसद को 58 के बजाय 54 वोटों की आवश्यकता है।

विपक्षी दलों का दावा है कि मुइज्जू को हटाने के लिए उनके पास 56 सांसदों का समर्थन है। क्योंकि स्थायी आदेशों में संशोधन के अनुसार, सांसदों की कुल संख्या अब 87 के बजाय 80 है।

मालदीव में महाभियोग का गणित
पिछले हफ्ते, एमडीपी और विपक्षी डेमोक्रेट ने मुइज्जू सरकार के खिलाफ अपना दल मजबूत करने के लिए गठबंधन की घोषणा की थी।

एमडीपी और डेमोक्रेट्स के पास कुल मिलाकर 56 सांसद हैं, जिसमें एमडीपी के 43 सांसद और डेमोक्रेट्स के 13 सांसद शामिल हैं। दोनों पार्टियां अगर चाहें तो मालदीव के राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की शक्ति रखती हैं। 

उधर, मालदीव के अटॉर्नी जनरल अहमद उशाम ने मंगलवार को कहा कि उनके कार्यालय ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया।

हालांकि, अदालत ने अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है। सोमवार को, एमडीपी के एक विधायक ने कहा कि पार्टी ने महाभियोग प्रस्ताव दर्ज करने के लिए पर्याप्त हस्ताक्षर जुटा लिए हैं।

हालांकि, सन ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, इसे अभी तक जमा नहीं किया गया है।

इस बीच मालदीव की सरकार में शामिल दलों प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) और पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) ने महाभियोग प्रस्ताव के लिए विपक्ष की कड़ी आलोचना की है।

मुइज्जू से पहले हमे मारना होगा
एक तरफ विपक्षी दलों ने मुइज्जू सरकार को हटाने की तैयारी कर ली है तो सरकार के साथ गठबंधन में दलों पीपीएम और पीएनसी ने कहा है कि वे हर हाल में महाभियोग को सफल नहीं होने देंगे। पीएनसी के नेता अहमद सलीम ने कहा कि राष्ट्रपति मुइज्जू को पद से हटाने का कोई प्रयास सफल नहीं होने देंगे। राष्ट्रपति को पद से हटाने के बारे में सोचने से पहले उन्हें हम सभी को मारना होगा। हमारे रहते यह मुमकिन नहीं होगा। 

संसद में झड़प पर बौखलाया है विपक्ष
महाभियोग के पीछे असली वजह है मुइज्जू की कैबिनेट में चार नए सदस्यों की एंट्री। बीते रविवार को मुइज्जू के मंत्रिमंडल में चार सदस्यों की मंजूरी पर संसद में मतभेद सामने आए थे। जिस पर सांसदों के बीच मारपीट भी हुई। इस घटना के बाद मालदीव की राजनीति में तेजी से घटनाक्रम बदले हैं। संसद में हंगामे के बाद विपक्ष ने मुइज्जू सरकार के खिलाफ महाभियोग लाने का ऐलान किया है।

गौरतलब है कि सोमवार को मालदीव की संसद ने राष्ट्रपति मुइज्जू के मंत्रिमंडल के तीन सदस्यों उशम, आवास मंत्री अली हैदर अहमद और इस्लामी मंत्री मोहम्मद शहीम अली सईद को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। विपक्षी दल एमडीपी नहीं यह चाहता था। यह घटनाक्रम तब हुआ जब एमडीपी ने एक दिन पहले तीन मंत्रियों और आर्थिक मंत्री मोहम्मद सईद की मंजूरी खारिज कर दी थी। हालांकि, सईद वोटिंग से बच गए थे। मतदान के कुछ ही घंटों के भीतर ही, उशम, हैदर और शाहीम को कैबिनेट में नियुक्त किया गया और उन्हें न्यायमूर्ति हुस्नु अल सूद के समक्ष आनन-फानन में शपथ भी दिलाई गई। इस पर विपक्ष ने काफी हंगामा भी किया था।