राम कथा के जानेमाने कथावाचक मोरारी बापू अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बने सबसे बड़े दानदाता…

छह दशकों से भी ज़्यादा समय तक रामायण का प्रचार-प्रसार करने के लिए जाने जाने वाले बापू ने बहुत ही शानदार काम कर खुद को एक बार फिर से साबित…

राम कथा के जानेमाने कथावाचक मोरारी बापू अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बने सबसे बड़े दानदाता…

छह दशकों से भी ज़्यादा समय तक रामायण का प्रचार-प्रसार करने के लिए जाने जाने वाले बापू ने बहुत ही शानदार काम कर खुद को एक बार फिर से साबित कर दिया है।

उन्होंने कुल18.6 करोड़ रुपये का दानसेवा किया है। इतनी बड़ी सहायता राशि जो भारत में 11.30 करोड़ रुपये, यूके और यूरोप से 3.21 करोड़ रुपये साथ ही अमेरिका, कनाडा तथा कई अन्य देशों से 4.10 करोड़ रुपये के योगदान से इकट्ठी की गई थी।

अगस्त 2020 में, कोविड-19 जैसे मुश्किल के समय में जब गुजरात के पिठोरिया में एक ऑनलाइन कथा हुई थी। उस दौरान मोरारी बापू ने जनता को अपील की थी।

उस अपील में मोरारी बापू ने राम मंदिर के निर्माण में योगदान देने की अपनी गहरी इच्छा व्यक्त की, जो उनकी अन्तर आत्म से उभरी थी। उसके बदले ये उदार धन इकट्ठा हुआ।

अयोध्या में राम मंदिर के लिए 18.6 करोड़ रुपये का योगदान देकर बापू सबसे बड़े दानदाता बने 

भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्य में राम की नगरी पुष्प और रोशनी से सज चुकी है। मोरारी बापू इस साल 24 फरवरी से 3 मार्च तक अयोध्या में राम कथा करेंगे।

मोरारी बापू ने बताया कि, ”हमने मात्र 15 दिनों में राम जन्मभूमि ट्रस्ट को लगभग 11.3 करोड़ रुपये पहले ही सौंप दिए थे। बाकी रकम जो विदेशों से जुटाई गई है उसे आवश्यक क्लियरेंस सर्टिफिकेट दे दिया गया है।

और इस साल फरवरी में जब मैं कथा करूंगा तो राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट को बकाया राशि दे दी जाएगी। कुल मिला कर दानसेवा 18.6 करोड़ रुपये है।”

मोरारी बापू ने बताया कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय अक्टूबर 2023 में बरसाना में चल रही एक राम कथा के दौरान उनसे मिलने आए थे।

“श्री चंपत राय जी ने मुझे 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर के उद्घाटन समारोह और मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में आमंत्रित किया। उन्होंने मुझे राम लला के अभिषेक के बाद 24 फरवरी से  03 मार्च तक अयोध्या में कथा करने के लिए भी आमंत्रित किया था।”

मोरारी बापू ने अयोध्या के नए राम मंदिर में तीन पवित्र ग्रंथों – वेद, वाल्मिकी रामायण और गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस को नए सिरे से स्थापित करने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा “ऐसा नहीं है कि मुझसे पूछा गया है, लेकिन मुझे लगता है कि वेद भगवान, वाल्मिकी जी की रामायण और गोस्वामी तुलसीदास जी की राम चरित मानस को अयोध्या में राम मंदिर में रखा जाना चाहिए”।

राम मंदिर का उद्घाटन “खुशी के पल”
राम कथा सुनाने, राम नाम जपने और राम काम करते हुए 64 सालों की तपस्या के बाद सम्मानित मोरारी बापू ने राम मंदिर के उद्घाटन पर अपना उत्साह दिखाते हुए बताया कि, “मेरा दिल खुशी से भर गया है क्योंकि राम मंदिर बनने जा रहा है। 

इन दिनों मेरे रगों में उल्लास दौड़ रहा है, मेरा हृदय खुशी से धड़क रहा है।” मोरारी बापू जो अयोध्या विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने स्थायी आह्वान और राम मंदिर के निर्माण में अपने अटूट विश्वास के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने पहले भी बार-बार कहा है, “भगवान राम किसी एक संप्रदाय या एक देश के नहीं हैं, वह तो पूरी दुनिया के हैं।”

2018 में अयोध्या में अपनी राम कथा के दौरान मोरारी बापू ने कहा था कि “स्वीकार और संवाद की नीव पर राम मंदिर बनेगा।” हमें इन दो ईंटों को नींव में रखना होगा।”

राम को समर्पित जीवन
मोरारी बापू की आध्यात्मिक यात्रा 14 साल की उम्र में तलगाजार्डा में एक बरगद के पेड़ के नीचे राम कथा सुनाने से शुरू हुई। इन वर्षों में, उन्होंने अपनी पहुंच को काफी आगे तक बढ़ाया है।

उन्होंने 1976 में नैरोबी, केन्या में पहली बार कथा वाचन के साथ विश्व स्तर पर कथा का संचालन किया। हाल ही में, उन्होंने 18 दिनों तक ट्रेन से यात्रा कर सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में राम कथा का वाचन करते हुए एक दौरा पूरा किया है।

64 वर्षों से पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ने के साथ, मोरारी बापू ने कुल 930 राम कथाएँ (भारत में 791 और विदेश में 139) आयोजित की हैं। हर एक कथा नौ दिनों में चुनी गई चौपाई पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ‘सत्य, प्रेम और करुणा’ का संदेश देती है।

गैर-व्यावसायिक दृष्टिकोण और परोपकार:
मोरारी बापू अपनी कथाओं के प्रति गैर-व्यावसायिक दृष्टिकोण अपनाते हैं। वह राम कथा करने के लिए एक पैसा या किसी भी प्रकार की दक्षिणा नहीं लेते हैं। इसके अलावा, सभी कथा समारोह में निःशुल्क शाकाहारी भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है।

बापू समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने, सबसे वंचितों से भिक्षा स्वीकार करने में विश्वास करते हैं। उनका परोपकार विभिन्न सामाजिक कारणों, बहुत गरीबी और सामाजिक बहिष्कार के शिकार लोगों तक पहुंचने और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने तक फैला हुआ है।

दुर्घटना पीड़ितों, यूक्रेन जैसे युद्धग्रस्त क्षेत्रों और केदारनाथ बाढ़, भुज भूकंप और लातूर भूकंप जैसे आपदा प्रभावित क्षेत्रों में नियमित योगदान, मानवीय कारणों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

उन्होंने सबको साथ ले कर चलो वाले अपने दर्शन के अनुसार, यौनकर्मियों और ट्रांसजेंडरों के लिए भी कथाएँ आयोजित की हैं।