मुइज्जू ने अपने ही पैरों पर मारी कुल्हाड़ी, मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद कंफर्म थी भारत यात्रा…

भारत के साथ चल रहे विवाद के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद से वो भारत से पंगा ले…

मुइज्जू ने अपने ही पैरों पर मारी कुल्हाड़ी, मालदीव का राष्ट्रपति बनने के बाद कंफर्म थी भारत यात्रा…

भारत के साथ चल रहे विवाद के बाद मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू बुरी तरह फंसते नजर आ रहे हैं।

राष्ट्रपति बनने के बाद से वो भारत से पंगा ले रहे हैं। पहले भारतीय सेना को बाहर करने की कसम खाई और अब उनके मंत्री का पीएम मोदी पर आपत्तिजनक कमेंट उनकी मुश्किल बढ़ा रहा है।

नतीजन दुनियाभर में किरकिरी तो हो ही रही है, पर्यटन को भी तगड़ी मार मिल रही है। भारतीय मालदीव का बॉयकॉट करते हुए स्थानीय समुद्री तटों का रुख कर रहे हैं।

कई सेलिब्रेटी भी इसके पक्ष में आए हैं। इस बीच जानकारी सामने आई है कि मालदीव सरकार ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद मोहम्मद मुइज्जू की भारत यात्रा का प्रस्ताव रखा था, लेकिन मुइज्जू ने तब इसे टाल दिया और तुर्किए-यूएई के बाद चीन निकल गए।

हालांकि अब उनकी भारत यात्रा मौजूदा हालातों को देखते हुए बेहद मुश्किल नजर आ रही है। 

इस मामले से परिचित लोगों ने मंगलवार को कहा कि तनावपूर्ण संबंधों के कारण मुइज्जू की भारत यात्रा आगे नहीं बढ़ सकी। हालांकि अब मुइज्जू के चीन यात्रा के बाद भारत की यात्रा और भी असंभव सी होने लगी है।

भारत और मालदीव के बीच संबंध, जो मुइज्जू के भारतीय सेना को वापस भेजने के ऐलान से पहले ही निचले स्तर पर थे, अब दोनों देशों के बीच संबंधों में और गिरावट आ गई है जब पिछले सप्ताह मालदीव की मंत्री ने पीएम मोदी पर विवादित टिप्पणी की। हालांकि मुइज्जू मंत्री के बयान से किनारा करते हुए तीन मंत्रियों को सस्पेंड कर चुके हैं। 

नाम न छापने की शर्त पर एक ने कहा कि मालदीव सरकार ने पिछले साल नवंबर में मुइज्जू के पदभार संभालने के तुरंत बाद राष्ट्रपति की भारत यात्रा का प्रस्ताव रखा था।

हालांकि, उस समय राष्ट्रपति चुनाव के दौरान मुइज़ू की पार्टी के भारत विरोधी अभियान और मालदीव से भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की उनकी मांग से माहौल पहले ही खराब हो चुका था।

सूत्रों का कहना है,”जब द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण हों तो ऐसी यात्राएं इतनी जल्दी निर्धारित नहीं की जा सकतीं।” “राष्ट्रपति की चीन यात्रा के बाद, भारत की यात्रा और भी असंभावित लग रही है।”

मुइज्जू की शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद चीनी मीडिया ने आग में घी डालने का काम किया। भारत और मालदीव के बीच तनाव का फायदा उठाने की कोशिश की।

भारत को बड़ा दिल रखने की नसीहत देते हुए चीन ने कहा कि उसका और मालदीव के बीच बराबर का रिश्ता है। उसने कभी भी मालदीव को भारत से दूर रहने की सलाह नहीं दी।  

पैर पर कुल्हाड़ी मार चुके मुइज्जू

राष्ट्रपति बनने के बाद मुइज्जू ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के साथ अपनी बैठक में लगभग 77 भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की अपनी मांग दोहराई थी।

रिजिजू ने मुइज्जू की ताजपोशी के वक्त भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया था। इसके बाद, मुइज़ू ने मालदीव के राष्ट्रपतियों की भारत की पहली विदेश यात्रा की परंपरा को तोड़ते हुए तुर्किये और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की यात्रा की।

मंत्रियों ने बाकी कसर पूरी की
इस पूरे विवाद ने बाकी की कसर तब और पूरी कर दी जब पिछले हफ्ते मुइज्जू सरकार के मंत्रियों सहित मालदीव के कई नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लक्षद्वीप की यात्रा के बाद सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी की।

मालदीव के नेताओं ने पीएम मोदी पर लक्षद्वीप को मालदीव के प्रतिद्वंद्वी के तौर पर पेश करने का आरोप लगाया।

मालदीव सरकार ने हालांकि अपमानजनक टिप्पणियों से खुद को दूर किया और मालशा शरीफ, मरियम शिउना और अब्दुल्ला महज़ूम माजिद को निलंबित कर दिया।

भारत ने अपमानजनक टिप्पणियों पर अपनी कड़ी चिंता व्यक्त करने के लिए नई दिल्ली में मालदीव के दूत को विदेश मंत्रालय में भी तलब किया था।

पर्यटन में चीन से मदद मांग रहे मुइज्जू
भारत से विवाद के बाद मुइज्जू सरकार के हाल इस कदर खराब हो गए हैं कि भारतीयों ने बड़ी संख्या पर मालदीव में छुट्टियों की योजना रद्द कर दी है। भारत में बॉयकॉट मालदीव ट्रैंड हो रहा है।

ऐसे में मुइज्जू ने चीनी सरकार से मदद मांगी है। कहा कि मालदीव में पर्यटन को पटरी पर बने रहने के लिए वह उसकी मदद करे। 

मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2022 और 2023 में मालदीव में पहुंचने वाले विदेशी पर्यटकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की थी। 2022 में कुल 240,000 भारतीयों ने मालदीव का दौरा किया, इसके बाद 198,000 रूसी और 177,000 ब्रिटिश नागरिक आए। 2023 में, कुल 209,198 भारतीयों ने द्वीपसमूह का दौरा किया, इसके बाद 209,146 रूसी और 187,118 चीनी नागरिक पहुंचे।

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