गाजा से कीव तक तबाही के बीच नए साल की सुबह; इजरायल और रूस बरसा रहे बम; 48 फिलिस्तीनी मरे…

कैलेंडर बदल गया है और नए साल 2024 का आज पहला दिन है। लेकिन युद्ध में झुलस रहे गाजा पट्टी और यूक्रेन के लिए हालात अब तक वही है। यही…

गाजा से कीव तक तबाही के बीच नए साल की सुबह; इजरायल और रूस बरसा रहे बम; 48 फिलिस्तीनी मरे…

कैलेंडर बदल गया है और नए साल 2024 का आज पहला दिन है।

लेकिन युद्ध में झुलस रहे गाजा पट्टी और यूक्रेन के लिए हालात अब तक वही है। यही नहीं नए साल की पहली सुबह तो नई तबाही के बीच हुई है।

गाजा पट्टी में इजरायल की रात भर चली बमबारी में 48 फिलिस्तीनी मारे गए हैं। वहीं यूक्रेन में भी रूस ने जमकर ड्रोन अटैक किए हैं।

राजधानी कीव समेत कई शहरी इलाकों में बम दागे जा रहे हैं। दरअसल रूस का कहना है कि वह बीते सप्ताह अपने बेलग्रेड शहर में यूक्रेन के हमलों का बदला ले रहा है, जिसमें 24 लोगों की मौत हो गई थी। 

वहीं इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बार फिर दोहराया है कि यह जंग महीनों तक चल सकती है। उन्होंने कहा कि हमास ने 7 अक्टूबर को जो दुस्साहस किया था, उसके बदले में हम उसकी समाप्ति चाहते हैं।

इसलिए हमारी जंग महीनों तक भी चल सकती है। यह तब तक जारी रहेगी, जब तक हम जीत नहीं जाते।

गाजा में 2023 की आखिरी रात को हुए हमलों में 48 लोग मारे गए। चारों तरफ मलबे का ढेर है और उनसे शवों को निकालना तक मुश्किल हो रहा है। एक स्थानीय नागरिक ने बताया, ‘मैंने धमाका सुना और वहां दौड़कर पहुंचे तो हर जगह लाशों का ढेर पाया।’

यहां 20 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। कई बच्चे गायब बताए जा रहे हैं। इसके अलावा अल-अक्सा यूनिवर्सिटी पर भी अटैक हुआ है, जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई है।

इस बीच इजरायल की सेना का कहना है कि उसने दर्जनों हमास लड़ाके मार गिराए हैं। उसने हमास की सुरंगों पर हवाई हमले किए हैं।

इसके अलावा टैंकों से भी हमले किए गए हैं। अब तक गाजा पट्टी से करीब 24 लाख लोग पलायन कर चुके हैं। यही नहीं यहां बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने से बीमारियां भी फैलने की आशंका है। इसके अलावा सर्दियों में पीड़ितों के ठहरने की जगह भी कम है और उन्हें मुसीबत झेलनी पड़ रही है।   

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बता दें कि बीते करीब तीन महीनों से गाजा में संघर्ष जारी है, जबकि यूक्रेन में दो साल से युद्ध चल रहा है। अब नए साल की पहली सुबह भी दोनों जगह जारी जंग ने संकट बढ़ा दिया है।

गाजा से पलायन कर मिस्र में जाकर बसे महमूद अबू सहमा कहते हैं, ‘हम उम्मीद करते हैं कि 2024 में स्थितियों में सुधार आएगा। हमें भरोसा है कि आने वाले दिन परिवार के साथ ही घर पर गुजार सकेंगे।’