हर दिन राजनीति छोड़ने की सोचता हूं, पागलपन भरी नौकरी है; हार देख घबराए कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो …

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बतौर प्रधानमंत्री अपनी नौकरी से खासा परेशान नजर आ रहे हैं। उन्होंने खुद बताया कि यह एक ‘पागलपन भरी नौकरी’ है और वे इसे छोड़ने…

हर दिन राजनीति छोड़ने की सोचता हूं, पागलपन भरी नौकरी है; हार देख घबराए कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो …

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो बतौर प्रधानमंत्री अपनी नौकरी से खासा परेशान नजर आ रहे हैं।

उन्होंने खुद बताया कि यह एक ‘पागलपन भरी नौकरी’ है और वे इसे छोड़ने के बारे में सोच रहे थे। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि वह अगले चुनाव तक पद पर बने रहेंगे।

बता दें कि जस्टिन ट्रूडो का ये बयान ऐसे समय में आया है जब उनकी लिबरल पार्टी ऑफ कनाडा चुनावों में बुरी तरह से पिछड़ रही है। कनाडा में प्रधानमंत्री पद के लिए चुनाव अक्टूबर 2025 तक होना है। 

हालिया सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लिबरल पार्टी को कंजर्वेटिव्स के हाथों बुरी हार का सामना करना पड़ेगा। सर्वे की मानें तो कनाडा के मतदाता ट्रूडो से ऊब चुके हैं।

ट्रूडो ने पहली बार नवंबर 2015 में पदभार संभाला था। तमाम सर्वे में हो रही हार की भविष्यवाणी के बीच ट्रूडो ने एक लंबे इंटरव्यू में फ्रांसीसी भाषा के ब्रॉडकास्टर रेडियो-कनाडा को बताया, “मैं जो आज हूं वह शख्स कभी नहीं बन पाता। इसलिए इस अहम मोड़ पर मैं ये लड़ाई नहीं छोड़ सकता हूं।” 

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह राजनीति छोड़ने के बारे में सोचते हैं, तो उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, “मैं हर दिन छोड़ने के बारे में सोचता हूं। यह एक पागलपन भरा काम है जो मैं कर रहा हूं। व्यक्तिगत बलिदान दे रहा हूं… बेशक, यह बहुत मुश्किल है।” पिछले साल ट्रूडो और उनकी पत्नी सोफी ने घोषणा की थी कि वे 18 साल की शादी के बाद अलग हो रहे हैं।

ट्रूडो ने कहा, “हमेशा ये बहुत अच्छा नहीं होता है। मैं लोकप्रिय होने के लिए राजनीति में नहीं आया, व्यक्तिगत कारणों से नहीं, (बल्कि) क्योंकि मैं सेवा करना चाहता हूं और मुझे पता है कि मेरे पास देने के लिए कुछ है।”

बता दें कि कनाडा में इन जिनों प्रवासियों की बढ़ती संख्या को लेकर खूब बहस हो रही है। प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार को स्थायी और अस्थायी दोनों तरह के प्रवासियों की बढ़ती आबादी का स्वागत करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि देश को आवास की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।