पहले जासूसी जहाज रोका, अब चीनी फर्म से डील रद्द; कैसे श्रीलंका ने बढ़ाई शी जिनपिंग की टेंशन…

श्रीलंका ने एक चीनी फर्म के साथ डील रद्द करके चीनी प्रशासन को बड़ा झटका दिया। 3 सोलर और वाइंड हाइब्रिड बिजली उत्पादन फैसिलिटी के निर्माण को लेकर करार हुआ…

पहले जासूसी जहाज रोका, अब चीनी फर्म से डील रद्द; कैसे श्रीलंका ने बढ़ाई शी जिनपिंग की टेंशन…

श्रीलंका ने एक चीनी फर्म के साथ डील रद्द करके चीनी प्रशासन को बड़ा झटका दिया।

3 सोलर और वाइंड हाइब्रिड बिजली उत्पादन फैसिलिटी के निर्माण को लेकर करार हुआ था, जिसका जिम्मेदारी अब भारतीय कंपनी को सौंपी गई है।

यह प्रोजेक्ट को शुरू में एशियाई विकास बैंक (ADB) की ओर से फंडेड था। हालांकि, अब इसे 11 मिलियन डॉलर का भारत सरकार से ग्रांट मिल चुका है।

श्रीलंका और चीन के बीच होने वाली इस डील पर भारत सरकार ने पहले ही चिंता जताई, जिसे देखते हुए 2 साल पहले चीनी कंपनी के साथ यह करार अस्थायी रूप से रद्द कर दिया गया था।

अब भारतीय कंपनी से डील ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की टेंशन बढ़ा दी है।

बीते कुछ बरसों में पड़ोसी देशों में चीनी कंपनियों की भागीदारी बढ़ी है। इसे लेकर भारत चिंतित रहा है और अब इसका मुकाबला करने की कोशिशें भी शुरू कर दी हैं।

इसी कड़ी में बेंगलुरु स्थित भारतीय कंपनी यू-सोलर अब वो ठेका लेगी, जो चीनी कंपनी को मिलने वाला था। इस मामले को लेकर भारतीय दूतावास की ओर से एक बयान जारी किया गया।

इसमें कहा गया कि भारत की सहायता का असर द्विपक्षीय ऊर्जा साझेदारी के तौर पर देखा जा सकता है। मालूम हो कि इस डील के तहत कुल मिलाकर 2,230 किलोवाट की रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन का टारगेट है।

इसके लिए तीनों फैसिलिटीज श्रीलंका के उत्तरी शहर जाफना के पास टापुओं पर बनाई जाएंगी।

श्रीलंका में यह तीसरा भारत समर्थित प्रमुख प्रोजेक्ट 
यह एनर्जी प्रोजेक्ट श्रीलंका में तीसरी भारत समर्थित प्रमुख परियोजना है। नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन पूर्वी सैमपुर शहर में सोलर वेंचर तैयार कर रहा है। अदानी ग्रुप उत्तर में मन्नार और पूनरीन में रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट सेट करने में लगा हुआ है।

मार्च 2022 में दोनों देशों के बीच तीसरी ऊर्जा परियोजना को लेकर समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर हुआ था। इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर दक्षिण एशियाई देश के दौरे पर गए हुए थे।

श्रीलंका ने कुछ समय पहले हिंद महासागर क्षेत्र में रिसर्चर जहाजों के आने पर 1 साल के लिए रोक लगा दी थी। इस फैसले से चीन की सरकार बौखलाई हुई नजर आ रही है।

चीनी प्रशासन चाहता है कि श्रीलंका अपने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र के भीतर संचालित होने वाले विदेशी अनुसंधान जहाजों पर रोक को वापस ले। भारत की आपत्ति के बाद यह प्रतिबंध इस साल 3 जनवरी से प्रभावी हुआ है।

श्रीलंका ने चीनी जासूसी शिप पर पहले ही लगाया है बैन
5 जनवरी को श्रीलंका ने जियांग यांग हांग थ्री नामक चीनी जहाज को एंट्री देने से इनकार कर दिया था। श्रीलंकाई सरकार ने कहा कि उसने अपनी समुद्री सीमा में विदेशी अनुसंधन जहाजों के प्रवेश पर एक साल के लिए रोक लगाई है।

भारत ने अपने पड़ोस में चीन के रिसर्च शिप के लंगर डालने पर चिंता जताई थी। संयोग से यह चीनी जहाज भारत-मालदीव-श्रीलंका त्रिपक्षीय ‘दोस्ती-16’ अभ्यास के स्थल के समीप ही था। यह अभ्यास 22 फरवरी और 25 फरवरी के बीच हुआ था।

अमेरिकी थिंक टैंक ने आरोप लगाया गया कि चीनी ‘वैज्ञानिक अनुसंधान’ जहाजों का विशाल बेड़ा सैन्य मकसदों खासकर पनडुब्बी संचालन के लिए हिंद महासागर क्षेत्र समेत सागरों से आंकड़ा जुटा रहा है।

चीन ने इस आरोप का खंडन किया है। उसका कहना है कि उसके जहाज संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के तहत संचालित होते हैं।