सुप्रीम कोर्ट को गांव-गांव क्यों ले जा रहे चीफ जस्टिस? कच्छ के रण में पहुंचे चंद्रचूड़ सहित कई न्यायाधीश…

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने ग्रामीण भारत की एक अभूतपूर्व यात्रा शुरू की है। इस यात्रा का उद्देश्य बेहद खास है।…

सुप्रीम कोर्ट को गांव-गांव क्यों ले जा रहे चीफ जस्टिस? कच्छ के रण में पहुंचे चंद्रचूड़ सहित कई न्यायाधीश…

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने ग्रामीण भारत की एक अभूतपूर्व यात्रा शुरू की है।

इस यात्रा का उद्देश्य बेहद खास है। दरअसल न्याय तक पहुंच बढ़ाने और आम लोगों के साथ सीधे संवाद को बढ़ावा देने के लिए चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट को गांव-गांव ले जा रहे हैं।

जमीनी स्तर से जुड़ने के उद्देश्य से की गई इस ऐतिहासिक पहल के तहत न्यायपालिका के शीर्ष अधिकारी गुजरात के कच्छ क्षेत्र के रण में दो दिवसीय कार्यक्रम के लिए जुटे हुए हैं। यह सम्मेलन, देश के इतिहास में अपनी तरह का पहला सम्मेलन है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, सम्मेलन में सभी उच्च न्यायालयों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ देश भर की निचली अदालतों के 250 जिला न्यायाधीश भी एक साथ कच्छ के रण में इकट्ठा हुए हैं।

शनिवार और रविवार को चलने वाले इस कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ और उनके साथी न्यायाधीश सीधे जिला न्यायाधीशों से जुड़ेंगे।

सीजेआई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी गुजरात पहुंचे हैं। खास बात ये है कि इनमें से न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और सूर्यकांत भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश की भूमिका निभा सकते हैं।

सीजेआई चंद्रचूड़ की इस पहल में जमीनी स्तर पर मुद्दों के समाधान के लिए कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।

ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई, संवैधानिक मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग और क्षेत्रीय भाषाओं में फैसलों के अनुवाद के बाद, सुप्रीम कोर्ट को उम्मीद है कि आम लोगों तक पहुंचने का यह अभियान पारदर्शी और सुलभ न्यायपालिका को बनाए रखने में भी मदद करेगा।

सीजेआई से सहमति जताते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सहमति व्यक्त की कि आम जनता तक सीधे पहुंचना न्यायपालिका और जनता के बीच की खाई को पाटने का एक प्रभावी तरीका है।

इसके बाद न्यायाधीशों के बीच चर्चा हुई और फिर एक सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया गया जहां निचली अदालत के न्यायाधीशों के साथ सीधी बातचीत हो सके।

इस सम्मेलन में टेक्नोलॉजी, संसाधनों और अन्य तार्किक पहलुओं से संबंधित चिंताओं को चर्चा की जाएगी।