किस उम्र में ली जाती है गुरु दीक्षा, क्यों जीवन में ये जरूरी? आचार्य से जानें विधि और महत्व

महान संत कबीर दास ने लिखा कि “हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर” मतलब, हरि अगर रूठ जायें, तो गुरु ठिकाना दे देंगे. लेकिन, अगर गुरु रूठ…

किस उम्र में ली जाती है गुरु दीक्षा, क्यों जीवन में ये जरूरी? आचार्य से जानें विधि और महत्व

महान संत कबीर दास ने लिखा कि “हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर” मतलब, हरि अगर रूठ जायें, तो गुरु ठिकाना दे देंगे. लेकिन, अगर गुरु रूठ जायें, तो कहीं भी ठिकाना नहीं मिलेगा.” श्री राम चरितमानस में गोस्वमी तुलसी दास ने लिखा “बंदउं गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि. महामोह तम पुंज जासु बचन रबिकर निकर” अर्थात् गुरू मनुष्य रूप में नारायण ही हैं.

ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज ने लोकल 18 से कहा कि व्यक्ति को हमेशा गुरु दीक्षा एक सही उम्र में ही ले लेनी चाहिए. इसके लिए सबसे सही उम्र 5 से 12 वर्ष के बीच की मानी जाती है. 5 साल से बालक शिक्षा लेना शुरू कर देते हैं. इसी के अनुसार गुरु दीक्षा लेना इस उम्र में सही रहती है. जो व्यक्ति गुरु दक्षिणा नहीं लेता है. उस व्यक्ति के जीवन में किए गए सभी प्रकार के पुण्य कार्य का उसे फल प्राप्त नहीं होता. इसलिए गुरु दीक्षा लेना जरूरी है. तो आईये विस्तार से जानते हैं गुरु दीक्षा की सही उम्र एवं दीक्षा लेना जरूरी क्यों?.

गुरु पूर्णिमा डेट शुभ मुहूर्त
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आषाढ़ माह में पढ़ने वाली पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई को शाम 6:00 मिनिट से शुरू होकर, अगले दिन 21 जुलाई को दोपहर 3:40 मिनिट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म के अनुसारउदया तिथि का अधिक महत्व माना जाता है. इसलिए गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाई जाएगी.

गुरु दीक्षा लेने की सही उम्र
ज्योतिषाचार्य के अनुसार गुरु दीक्षा लेने का सही समय 5 वर्ष कासमय बताया गया है. अगर इस उम्र में आप गुरु दीक्षा नहीं ले पाते, तो आप अधिकतम 12 वर्ष तक गुरु दीक्षा ले सकते हैं. भगवान ने गुरु का स्थान सबसे पहले रखा है. गुरु का महत्व भगवान से पहले बताया है. हमारे सनातन धर्म को मानने वाले हर शख्स को गुरु बनाना बेहद जरूरी है. बच्चे की पाठशाला जाने की उम्र में ही गुरु दीक्षा ले लेना चाहिए. ऐसा करना जीवन में बेहद अच्छा साबित होता है.

गुरु दीक्षा का महत्व
पंडित पंकज पाठक ने बताया कि जब तक हम गुरु दीक्षा नहीं लेते, तब तक हमारे द्वारा किए गए दान, धर्म, अनुष्ठान का हमें पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है. इसके अलावा कन्यादान, शिवलिंग निर्माण, मंदिर निर्माण आदि चीजों का भी फल हमें प्राप्त नहीं होता है. इसके अलावा यह भी बताया जाता है कि अगर मृत्यु से पहले गुरु नहीं बनाया है. तो मृत्यु के बाद आपको मोक्ष की प्राप्ति भी नहीं होती है. इसलिए इस संसार में गुरु दीक्षा लेना बहुत जरूरी है. सही उम्र में दीक्षा लेना जरूरी होता है.