रायपुर : मन कुंवारी ने जीता मोदी जी का मन…

जनमन संगी जशपुर के गांव कुटमा की मनकुंवारी से प्रधानमंत्री ने किया संवाद जब उज्ज्वला और पीएम आवास, जलजीवन मिशन जैसी योजनाएं बनती हैं तो राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कही…

रायपुर : मन कुंवारी ने जीता मोदी जी का मन…

जनमन संगी जशपुर के गांव कुटमा की मनकुंवारी से प्रधानमंत्री ने किया संवाद

जब उज्ज्वला और पीएम आवास, जलजीवन मिशन जैसी योजनाएं बनती हैं तो राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कही जाने वाली पहाड़ी कोरवा जैसी जनजातियों के जीवन में किस तरह का सुखद बदलाव आता है इसकी बयानी वो संवाद करता है जो प्रधानमंत्री ने जशपुर जिले के एक छोटे से गांव कुटमा की पहाड़ी कोरवा महिला श्रीमती मनकुंवारी बाई से किया।

प्रधानमंत्री को मनकुंवारी ने बताया कि हम लोग पहाड़ी कोरवा हैं।

पहाड़ों से उतर कर एक दो किमी का सफर तयकर ढोंढी-कुआँ से पानी लाते थे। पानी बहुत खराब होता था। कितनी बार तो बीमार पड़ गये। अब आपने शुद्ध जल की व्यवस्था करा दी है।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोग पहले साफ पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोटी, कपड़ा, मकान जैसी बुनियादी सुविधाओं को देखते हुए जो योजनाएं आरंभ की, उससे स्थिति काफी बदली है। प्रधानमंत्री इसकी मानिटरिंग भी कर रहे हैं।

देश भर में विशेष पिछड़ी जनजातियों के समग्र विकास के लिए पहली बार एक योजना पीएम जनमन योजना तैयार की गई है और इसके क्रियान्वयन पर प्रधानमंत्री सीधी नजर रख रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने बगीचा तहसील के हितग्राहियों से बात की।

जनमन संगी श्रीमती मनकुंवारी बाई ने उनसे बात की। प्रधानमंत्री ने पूछा कि अब आपके घर में गैस सिलेंडर है तो जीवन में क्या बदलाव आया है।

मनकुंवारी बाई ने बताया कि बहुत ज्यादा फर्क पड़ा है। चूल्हे में खाना बनाने के लिए लकड़ी चाहिए, उसके लिए लकड़ी बटोरने जंगल जाना होता था।

फिर चूल्हा जलाते थे और देर तक खाना पकता था, इसमें इतना समय लगता था कि तब तक बच्चों को भूख में रोते देखने की मजबूरी होती थी। इससे वे समय पर स्कूल भी नहीं जा पाते थे।

प्रधानमंत्री देश के मुखिया हैं और संवाद भी बहुत आत्मीयता से करते हैं। उन्होंने मनकुंवारी बाई से पूछा कि अब गैस सिलेंडर आ गया है तो कौन से व्यंजन बनाती हो।

मनकुंवारी ने बताया कि भजिया बना लेती हूँ और धुस्का बना लेती हूँ। इस तरह के सहज संवाद से दिल्ली और जशपुर के पहाड़ी कोरवा की बस्ती की दूरी कितनी कम हो गई, यह सब उस सभा में बैठे हितग्राहियों ने महसूस किया जिन्होंने पीएम जनमन योजना का लाभ लिया था।

प्रधानमंत्री को मनकुंवारी ने बताया कि वो वनधन केंद्र से जुड़ी हैं और यहां पर दोना-पत्तल का काम करती है। उनके समूह में 12 सदस्य जुड़े हैं।

मनकुंवारी बाई को प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने जिन योजनाओं का लाभ लिया है वो तो आपको जुबानी याद हैं। अगर कोई शहरी होता तो उसे कागज देखना पड़ता। आपसे बातें कर बहुत अच्छा लगा।

प्रधानमंत्री ने यह भी पूछा कि जनमन संगी के रूप में आप किस तरह से काम करती हैं। मनकुंवारी ने बताया कि मैं घर-घर जाती हूँ। लोगों से पूछती हूँ कि उन्होंने सरकार की किन योजनाओं का लाभ लिया है।

पीएम जनमन योजना कमाल की है। जो काम बरसों में नहीं हुआ, वो अभी हो रहा है।

सबकी जिंदगी में बहुत बदलाव आ रहा है। इसके लिए प्रधानमंत्री जी आपको मैं बधाई देती हूँ। प्रधानमंत्री ने इस पर उन्हें भी बधाई दी।