बिजली की आंख मिचौली से उपभोक्ता परेशान 

लोड के लिहाज से ट्रांसफार्मर नहीं, रख-रखाव भी दोयम दर्जे का     बिजली उपकरण जलने और आग लगने की घटनाओं से होती है परेशानी  भोपाल। गर्मी के दिनों में…

बिजली की आंख मिचौली से उपभोक्ता परेशान 

लोड के लिहाज से ट्रांसफार्मर नहीं, रख-रखाव भी दोयम दर्जे का    
बिजली उपकरण जलने और आग लगने की घटनाओं से होती है परेशानी 

भोपाल। गर्मी के दिनों में बिजली की आंख मिचौली और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का जलना आम बात लगने लगी है। इन दिनों एसी, कूलर व फ्रिज का उपयोग ज्यादा होने से बिजली की खपत बढ़ जाती है, लेकिन कनेक्शन लोड कम होता है। इस कारण कम बोल्टेज के साथ बिजली का बार-बार लंबे समय के लिए जाना एक बड़ी समस्या उत्पन्न कर देती है। इसका घरेलु और व्यवसायिक दोनों ही क्षेत्र में व्यापक असर देखने को मिलता है। विद्युत ट्रांसफार्मर की उचित देखभाल नहीं होने और लोड कम रखने से भी परेशनी खड़ी होती है।    
शहरी क्षेत्रों में बिजली का उपयोग गर्मियों के दिनों में कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है। इसकी मुख्य वजह एसी और कूलर के साथ ही फ्रिज का उपयोग अधिक होना है। विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लोग बिजली उपकरणों का उपयोग ज्यादा करते हैं, लेकिन कनेक्शन का लोड कम रखते हैं, इससे लाइट डिम रहने और बिजली के आंख मिचौली की समस्या उत्पन्न हो जाती है। इस प्रकार कागजों पर तो लोड कम दिखाया जाता है, जबकि बिजली की खपत अधिक होती है। ऐसे उपभोक्ताओं पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है, जिस पर भी विभागीय कर्मचारी और अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं और अन्य उपभोक्ताओं को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जब कभी कोई हादसा या बड़ी चोरी पकड़ी जाती है तब तो बिजली विभाग के पदाधिकारी उपभोक्ताओं से अपने घर के लोड का स्वनिर्धारण कर उसके हिसाब से लोड बढ़वाने की बात जरुर करते दिख जाते हैं, लेकिन स्वयं से अचानक जांच और कार्रवाई करने की जिम्मेदारी ये खुद से नहीं लेते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह ट्रांसफार्मर की उचित देखभाल और सही लोड प्रदाय नहीं करना है। रख-रखाव उचित नहीं होने के कारण मौसम-बेमौसम बिजली आंखमिचौली करती है, उपभोक्ता शिकायत करते हैं तो सब चलता है, वाली शैली में सुनवाई कर थूक में सत्तू घोलने जैसा उपक्रम कर दिया जाता है। इससे ईमानदार उपभोक्ता खासा परेशानी महसूस करता है, उसे बिल अधिक भरना होता है, जबकि बिजली की आपूर्ति नहीं के बतौर ही रहती है। यही हाल व्यवसायिक क्षेत्रों में प्रदाय की जाने वाली बिजली का भी है। 

गर्मी में एसी का बढ़ता लोड  

 
एक तरफ गर्मी का प्रकोप आमजन के हाल को बुरा किए होती है तो वहीं बिजली आपूर्ति भी सितम ढहाने का ही काम करती दिखती है। राजधानी समेत अन्य प्रमुख शहरों में तेज गर्मी के चलते बिजली सब स्टेशनों पर 20 से 30 फीसद तक लोड बढ़ जाता है। लोड बढ़ने के कारण ट्रांसफार्मर जलने और बड़े फाल्ट होने की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं। इस स्थिति में फाल्ट सही करने में लगने वाला समय लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता है। बिना बिजली के उपकरण काम नहीं करते और कई दफा तो बार-बार बिजली जाने व लाइट के डिम व ज्यादा पावर आने से ये उपकरण जलते भी हैं। इसका हर्जाना भी उपभोक्ता को अपने जेब से ही भरना होता है। एक बढ़े हुए बिजली के बिल उस पर जलते बिजली के उपकरण उपभोक्ता के बजट को बिगाड़ कर रख देते हैं। 

ट्रांसफार्मर कम पावर का और लोड ज्यादा 

अधिकांशत: शिकायत यह होती है कि ट्रांसफार्मर कम पावर का लगाया गया है, जबकि क्षेत्र में बिजल खपत ज्यादा है। वहीं ज़्यादा लोड पड़ने पर ऐसे ट्रांसफार्मर जलने लगते हैं और केबल भी गर्म होकर धधकने लगती है। शॉट सर्किट जैसी समस्या भी होने का अंदेशा बना रहता है, ये फॉल्ट ज्यादातर रात में होते हैं, जबकि एसी, कूलर ज्यादा पावर खींचते हैं और लाइट डिम रहती है। कहा जा रहा है कि बिजली खपत के मुताबिक ट्रांसफर्मर बदले जाने चाहिए और लोड के लिहाज से इनका रख-रखाव भी किया जाना चाहिए। ताकि ईमानदार उपभोक्ताओं को अधिक परेशानी का सामना न करना पड़े।