चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए SBI ने मांगा और समय, सुप्रीम कोर्ट ने दी थी 6 मार्च की डेडलाइन…

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनावी बॉन्ड की डिटेल चुनाव आयोग से शेयर करने के लिए और समय मांगा है। एसबीआई ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की…

चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए SBI ने मांगा और समय, सुप्रीम कोर्ट ने दी थी 6 मार्च की डेडलाइन…

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने चुनावी बॉन्ड की डिटेल चुनाव आयोग से शेयर करने के लिए और समय मांगा है।

एसबीआई ने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। इसमें कहा गया कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारियां देने के लिए उन्हें 30 जून तक का वक्त चाहिए।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बीते महीने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को रद्द कर दिया था। अदालत ने SBI को निर्देश दिया कि वो चुनावी बॉन्ड के बारे में सारी जानकारी 6 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को दे।

अब एसबीआई का कहना है कि 12 अप्रैल 2019 से लेकर 15 फरवरी 2024 के बीच 2,2217 इलेक्टोरल बॉन्ड जारी हुए हैं। ये बॉन्ड्स अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों को डोनेशन के लिए जारी किए गए।

बॉन्ड को मुंबई स्थित शाखा में डिपॉजिट किया गया था। इसे लेकर 2 अलग-अलग सूचनाओं का स्लॉट है जिन्हें डिकोड करना है।

इसके बाद उसे तैयार किया जाएगा। इस तरह 44 हजार 434 सेट की जानकारी देनी होगी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने जो टाइमलाइन दी है, वो पर्याप्त नहीं है। इसे 30 जून तक के लिए बढ़ा देना चाहिए।

राहुल गांधी बोले- पूरी दाल ही काली है
एसबीआई की ओर से इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर और समय मांगे जाने पर राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे लेकर केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा।

उन्होंने एक्स पर पोस्ट करके कहा, “नरेंद्र मोदी ने ‘चंदे के धंधे’ को छिपाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का सच जानना देशवासियों का हक है, तब SBI क्यों चाहता है कि चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक न हो पाए? एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून तक का समय मांगना बताता है कि दाल में कुछ काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है।

देश की हर स्वतंत्र संस्था ‘मोडानी परिवार’ बन कर उनके भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है। चुनाव से पहले मोदी के ‘असली चेहरे’ को छिपाने का यह ‘अंतिम प्रयास’ है।”

SC ने चुनावी बॉण्ड योजना को बताया था असंवैधानिक
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 5-सदस्यीय संविधान पीठ ने राजनीतिक वित्तपोषण से संबंधित चुनावी बॉण्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था।

न्यायालय का मानना रहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) का उल्लंघन और असंवैधानिक है। साथ ही राजनीतिक दलों की ओर से प्राप्त चंदे की जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया।

एससी ने कहा कि एसबीआई शीर्ष अदालत के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के बाद से अब तक खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का विवरण निर्वाचन आयोग को प्रस्तुत करेगा।

विवरण में प्रत्येक चुनावी बॉण्ड की खरीद की तारीख, खरीदार का नाम और खरीदे गए चुनावी बॉण्ड का मूल्य शामिल होगा। SBI को 6 मार्च तक ये जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था।

साथ ही आयोग 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एसबीआई से मिली जानकारी प्रकाशित करेगा।