समंदर में अब थर-थर कापेंगे दुश्मन, नौसेना के बेड़े में शामिल होने जा रहे सीहॉक हेलीकॉप्टर…

भारतीय नौसेना बुधवार को कोच्चि में एमएच 60R सीहॉक हेलीकॉप्टरों को अपने बेड़े में शामिल करेगी। नेवी ने कहा कि यह भारत की रक्षा आधुनिकीकरण की राह में एक महत्वपूर्ण…

समंदर में अब थर-थर कापेंगे दुश्मन, नौसेना के बेड़े में शामिल होने जा रहे सीहॉक हेलीकॉप्टर…

भारतीय नौसेना बुधवार को कोच्चि में एमएच 60R सीहॉक हेलीकॉप्टरों को अपने बेड़े में शामिल करेगी।

नेवी ने कहा कि यह भारत की रक्षा आधुनिकीकरण की राह में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा।

आईएनएएस 334 स्क्वाड्रन में इन हेलीकॉप्टरों को शामिल किया जाएगा, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की परिचालन क्षमता में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।

अमेरिका निर्मित एमएच 60आर सीहॉक, ब्लैकहॉक हेलीकॉप्टर का एक समुद्री वैरिएंट है। हेलीकॉप्टर को पनडुब्बी रोधी युद्ध, सतह रोधी युद्ध, खोज और बचाव और चिकित्सा निकासी सहित अन्य अभियानों के लिए तैयार किया गया है।

नौसेना ने रविवार को कहा कि उन्नत हथियार, सेंसर और एवियोनिक्स सिस्टम सीहॉक को भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा जरूरतों के लिए परफेक्ट बनाता है।

सीहॉक स्क्वाड्रन को INAS 334 के रूप में इंडियन नेवी में शामिल किया जाएगा। भारत ने विदेशी सैन्य बिक्री के ढांचे के तहत फरवरी 2020 में 24-एमएच 60R की खरीद के लिए अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

नौसेना ने कहा, ‘हिंद महासागर क्षेत्र में सीहॉक की तैनाती भारतीय नौसेना की समुद्री मौजूदगी को मजबूत करेगी। साथ ही संभावित खतरों को दूर करेगी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करेगी।’

लक्षद्वीप में INS जटायु से बढ़ेगी ताकत
दूसरी ओर, नौसेना सामरिक रूप से महत्वपूर्ण लक्षद्वीप में सुरक्षा संबंधी ढांचे को बढाने के लिए नेवी डिटैचमेंट मिनिकॉय को INS जटायु के रूप में तैनात करेगी।

नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में यह तैनाती 6 मार्च को की जाएगी। नौसेना डिटैचमेंट मिनिकॉय की स्थापना 1980 के दशक के शुरू में नौसेना ऑफिसर इन चीफ (लक्षद्वीप) की परिचालन कमान के तहत की गई थी।

मिनिकॉय, लक्षद्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है जो महत्वपूर्ण समुद्री संचार लाइनों (एसएलओसी) तक फैला हुआ है।

जरूरी बुनियादी ढांचे और संसाधनों के साथ स्वतंत्र नौसेना इकाई की स्थापना से द्वीपों में नौसेना की समग्र परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी। यह बेस परिचालन पहुंच को बढ़ाएगा।