लोकपाल अध्यक्ष नियुक्त हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एएम खानविलकर, ये रही पूरी लिस्ट…

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस ए. एम. खानविलकर को मंगलवार को लोकपाल अध्यक्ष नियुक्त किया गया। लोकपाल के नियमित अध्यक्ष का पद 27 मई, 2022 को न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष…

लोकपाल अध्यक्ष नियुक्त हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एएम खानविलकर, ये रही पूरी लिस्ट…

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस ए. एम. खानविलकर को मंगलवार को लोकपाल अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

लोकपाल के नियमित अध्यक्ष का पद 27 मई, 2022 को न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद से खाली था। लोकपाल के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती कार्यवाहक अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे थे।

राष्ट्रपति भवन की एक विज्ञप्ति के अनुसार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस अजय मानिकराव खानविलकर को लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त किया है। न्यायमूर्ति खानविलकर जुलाई 2022 में शीर्ष अदालत से सेवानिवृत्त हुए थे।

विज्ञप्ति के मुताबिक, सेवानिवृत्त न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी, संजय यादव और ऋतुराज अवस्थी को भी लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया। विज्ञप्ति में कहा गया कि सुशील चंद्रा, पंकज कुमार और अजय तिर्की को लोकपाल के गैर-न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है।

इसमें बताया गया कि ये नियुक्तियां कार्यभार संभालने के दिन से प्रभावी होंगी। लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति की ओर से प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर की जाती है।

लोकपाल में एक अध्यक्ष के अलावा 4-4 न्यायिक और गैर-न्यायिक सदस्य हो सकते हैं।

लोकपाल को 33.32 करोड़ रुपये आवंटित
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से लोकसभा में पेश अंतरिम बजट 2024-25 में लोकपाल को 33.32 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, ताकि वह अपने प्रतिष्ठान और निर्माण संबंधी व्यय को पूरा कर सके। लोकपाल को 2023-24 के बजट में शुरू में 92 करोड़ रुपये दिए गए थे।

मगर बाद में इस संबंध में बजटीय प्रावधान को बढ़ाकर 110.89 करोड़ रुपये कर दिया गया। अंतरिम बजट में केंद्रीय सतर्कता आयोगा (CVC) को 2024-25 के लिए 51.31 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

यह प्रावधान आयोग के सचिवालय व्यय के लिए किया गया है। सीवीसी को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 44.46 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे जिसे बाद में बढ़ाकर 47.73 करोड़ रुपये कर दिया गया था।