राहुल गांधी की वायनाड सीट से दावेदारी पर ही लेफ्ट का सवाल, यहां लड़कर क्या पाएंगे…

‘INDIA’ विपक्षी गठबंधन के सदस्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI ने वायनाड से उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। खास बात है कि यह सीट गठबंधन के ही साथी कांग्रेस…

राहुल गांधी की वायनाड सीट से दावेदारी पर ही लेफ्ट का सवाल, यहां लड़कर क्या पाएंगे…

‘INDIA’ विपक्षी गठबंधन के सदस्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी CPI ने वायनाड से उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है।

खास बात है कि यह सीट गठबंधन के ही साथी कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र है। अब लेफ्ट के इस फैसले के साथ ही राहुल के चुनाव लड़ने की संभावित सीटों पर चर्चा तेज हो गई है।

इधर, वायनाड से सीपीआई उम्मीदवार एनी राजा का कहना है कि आखिर इस सीट से लड़कर कांग्रेस या राहुल गांधी को क्या हासिल होगा?

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में राजा ने केरल की सीट शेयरिंग पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि राज्य में सालों से LDF बना UDF रहा है और यहां कोई भी INDIA गठबंधन नहीं है।

साल 2019 में भी सीपीआई ने वायनाड सीट से चुनाव लड़ा था। कांग्रेस सांसद राहुल के सामने चुनाव लड़ने को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस या राहुल गांधी को केरल से चुनाव लड़ने से क्या मिलेगा।

‘कांग्रेस को सोचना पड़ेगा’
राजा ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस और वाम दल फासीवादी ताकतों के खिलाफ लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास सुरक्षित सीटों के लिए कई विकल्प भी हैं, ये तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक… जैसे कई जगहों पर हो सकती है।

उन्होंने सवाल किया कि अगर बड़ी तस्वीर देखें… तो कांग्रेस की राजनीति क्या है? अगर वे वाकई गंभीरता से इन  फासीवादी ताकतों से लड़ रहे हैं, तो उन्हें सोचना होगा।

उन्होंने कहा कि हम सैकड़ों सीटों से नहीं लड़ रहे हैं, बस कुछ ही सीटों से लड़ रहे हैं।

वायनाड नहीं तो किस सीट से लड़ेंगे राहुल?
फिलहाल, कांग्रेस की तरफ से राहुल की सीट को लेकर स्थिति साफ नहीं की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संभावनाएं जताई जा रही हैं कि राहुल केरल की वायनाड सीट के बजा अब कर्नाटक या तेलंगाना की किसी सीट से मैदान में उतर सकते हैं। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है।

साल 2019 में राहुल ने उत्तर प्रदेश के अमेठी से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी नेता स्मृति ईरानी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।