मंगल ग्रह पर 1 साल रहकर तगड़ी कमाई, स्पेसवॉक से खेती करने को भी मिलेगा; NASA ने निकाली अनोखी नौकरी…

अंतरिक्ष में जाने और रहने का सपना हर कोई देखता है। फिल्मों में अंतरिक्ष की दुनिया जितनी सुंदर और मजेदार दिखती है, हकीकत में उतनी ही खतरनाक होती है। नासा…

मंगल ग्रह पर 1 साल रहकर तगड़ी कमाई, स्पेसवॉक से खेती करने को भी मिलेगा; NASA ने निकाली अनोखी नौकरी…

अंतरिक्ष में जाने और रहने का सपना हर कोई देखता है। फिल्मों में अंतरिक्ष की दुनिया जितनी सुंदर और मजेदार दिखती है, हकीकत में उतनी ही खतरनाक होती है।

नासा मंगल ग्रह पर इंसानों के रहने लायक वातावरण और माहौल की तलाश कर रहा है।

इस बीच अंतरिक्ष एजेंसी ने एक मजेदार नौकरी निकाली है। इसमें धरती पर रहकर मंगल ग्रह जैसे वातावरण में एक साल तक रहना होगा। जिसमें स्पेसवॉक से लेकर खेती करना भी शामिल है।

इस काम के लिए नासा लोगों को मोटी सैलरी भी देने जा रहा है।

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा मंगल ग्रह पर एक वर्ष बिताने के लिए चार लोगों की तलाश कर रही है। एजेंसी का कहना है कि इसके लिए धरती पर एक स्पेशल जगह का निर्माण किया गया है, जहां मंगल ग्रह जैसा वातावरण तैयार किया जाए। इसे मार्स ड्यून अल्फा नाम दिया गया है।

नासा द्वारा चयनित लोग 1,700 वर्ग फुट के आवास में रहेंगे और मंगल मिशन की चुनौतियों को पूरा करेंगे।

नासा एक साल तक के इस मिशन में इन लोगों की लगातार निगरानी करेगा, जिसमें “संसाधन सीमाएं, उपकरण विफलता, संचार देरी और अन्य पर्यावरणीय तनाव शामिल हैं”।

इसमें लोगों को स्पेसवॉक, रोबोट संचालन, आवास रखरखाव, व्यायाम और खेती का भी काम करना होगा। इस उल्लेखनीय कार्य के लिए चुने गए लोगों को उनके समय के लिए मोटी सैलरी भी मिलेगी। हालांकि नासा ने सैलरी का अभी खुलासा नहीं किया है। 

इस नौकरी के लिए अर्हंताएं क्या हैं
मिशन प्रबंधकों का ध्यान अपने सही उम्मीदवारों पर है। नासा ने इस काम के लिए आवेदन करने वाले व्यक्ति से इंजीनियरिंग, गणित या जैविक, भौतिक या कंप्यूटर विज्ञान में विश्वविद्यालय की डिग्री अनिवार्य बताई है।

इसके अलावा पायलट का कम से कम 1000 घंटे का अनुभव होना चाहिए। आवेदक स्वस्थ हो और धूम्रपान न करता है। उसकी उम्र 30 वर्ष से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए और वह अमेरिका का स्थायी निवासी होना चाहिए। 

एजेंसी ने कहा, “आवेदकों को अपना आवेदन 2 अप्रैल से पहले भेजना होगा। चयन लोगों की पहले ट्रेनिंग होगी और फिर अभियान के लिए वे इसी साल अगस्त महीने में रवाना हो जाएंगे।