मल्टीग्रेन दलिया से कुपोषण और एनीमिया को मिल रही मात
रायपुर : दंतेवाड़ा जिले में कुपोषण और एनीमिया एक बड़ी समस्या रही है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन की विशेष पहल पर सुपोषण योजना के तहत आंगनबाड़ी के बच्चों को…
रायपुर : दंतेवाड़ा जिले में कुपोषण और एनीमिया एक बड़ी समस्या रही है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन की विशेष पहल पर सुपोषण योजना के तहत आंगनबाड़ी के बच्चों को मल्टीग्रेन दलिया दिए जाने की अभिनव पहल के बड़े ही सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। जिले में बीते अप्रैल माह में कुल कुपोषित बच्चों की संख्या 8082 थी, जो अब घटकर 6969 रह गई है। इसको देखते हुए यह उम्मीद है कि निकट भविष्य में दंतेवाड़ा जिले में कुपोषण और एनीमिया को न्यूनतम स्तर लाने में मल्टीग्रेन दलिया का उपयोग कारगर सिद्ध होगा। यह मल्टीग्रेन दलिया रागी, कोदो, कोसरा, बाजरा, ज्वार आदि से स्थानीय महिला स्व-सहायता समूह द्वारा तैयार कर आंगनबाड़ियों को प्रदाय किया जा रहा है।
राष्ट्रीय पोषण माह में मल्टीग्रेन दलिया नियद नेल्लानार के ग्राम गमावाडा एवं धुरली के आंगनबाड़ी केंद्र में 3 से 6 वर्ष के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने के समय अर्थात 3 बजे के आसपास खिचड़ी या हलवा के रूप में बनाकर दिया जाता है, जिससे आंगनबाड़ी केन्द्र से प्राप्त गर्म भोजन व घर में मिलने वाले शाम के भोजन के बीच में ‘‘न्यूट्रिशनल गैप‘‘ को पूरा करती है। मल्टीग्रेन दलिया पौष्टिक होने के साथ-साथ बच्चों को खाने में पसंद है। जिसके कारण आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है। इसके चलते ‘‘अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेषन‘‘ (ईसीसीई) गतिविधियों के क्रियान्वयन भी कारगर साबित हुआ है।
दंतेवाड़ा जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों में मिलेट आधारित दलिया को मिड-डे मील के रूप में शामिल किया गया है। बच्चों और उनके माता-पिता से मिले सकारात्मक फीडबैक ने इस योजना की सफलता को और भी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। बच्चों में पहले की तुलना में अधिक ऊर्जा, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और शारीरिक विकास में तेजी देखी गई है।
गौरतबल है कि मिलेट्स के पोषक तत्वों एवं स्वास्थ्यवर्धक गुणों से पूरे देश-दुनिया परिचित हो चुकी है। जब से देश में चावल, गेहूं की भरपूर पैदावार होने लगी, तब से मिलेट्स यानि मोटे अनाजों से लोगों ने मुहं मोड़ लिया था। देश-दुनिया को मोटे अनाजों की पौष्टिकता, इसमें विद्यमान मल्टी विटामिन्स तथा कई रोगो के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का पता लगा है, तब से उसके उपयोग को बढ़ावा मिला है। मोटा अनाज अब अन्न कहा जाने लगा है। मिलेट्स सभी के लिए सुपाच्य एवं मरीजों के विभिन्न व्याधियों में फायदेमंद इस अनाज की मांग अब एकाएक बढ़ चुकी है। खास तौर पर महिलाओं एवं बच्चों के सेहत के लिए इसका उपभोग लाभकारी है।