‘अबकी बार 400 पार’, क्यों NDA को आरएलडी और टीडीपी जैसे क्षत्रपों की जरूरत…

भारतीय जनता पार्टी ने इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में 370 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। साथ ही बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 400…

‘अबकी बार 400 पार’, क्यों NDA को आरएलडी और टीडीपी जैसे क्षत्रपों की जरूरत…

भारतीय जनता पार्टी ने इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में 370 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है।

साथ ही बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को 400 के पार ले जाने की बात हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 2024 के आम चुनावों ने लिए यह टारगेट सेट किया और संसद से इसका ऐलान भी कर डाला।

पीएम मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव के बाद तीसरी बार उनकी सरकार बनने का विश्वास जताया।

बीते सोमवार को उन्होंने कहा कि देश के मिजाज को देखकर लगता है कि आम चुनाव में भाजपा को 370 सीटें और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 400 से अधिक सीटें मिलेंगी।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस टारगेट को पूरा करने के लिए NDA कुनबे को और ज्यादा मजबूत करना बहुत जरूरी है। यही वजह है कि राष्ट्रीय लोकदल और तेलगु देशम पार्टी से बीजेपी की नजदीकियां बढ़ रही हैं।  

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि विपक्षी दल के सदस्यों के बयानों से उन्हें विश्वास हो गया है कि उसने अर्से तक विपक्ष में बैठने का संकल्प ले लिया है। पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारी सरकार का तीसरा कार्यकाल भी बहुत दूर नहीं है।

ज्यादा से ज्यादा सौ-सवा सौ दिन रह गए हैं। मैं आमतौर पर आंकड़ों के चक्कर में नहीं पड़ता। लेकिन मैं देश का मिजाज देख रहा हूं।

वह राजग को 400 सीटें पार कराके रहेगा। देश भाजपा को 370 सीटें अवश्य देगा।’ इस दौरान प्रधानमंत्री ने जब बोला ‘अबकी बार’ तो भाजपा के सदस्य ‘400 पार’ का नारा लगाते हुए सुने गए।

नारे तो अपनी जगह हैं मगर इस लक्ष्य को हासिल करना एनडीए के लिए इतना आसान नहीं होने वाला है। हालांकि, विपक्षी दलों के गठबंधन में पड़ती फूट उसके लिए जरूर अच्छी खबर हो सकती है।

NDA को और ज्यादा मजबूत करने में जुटी बीजेपी 
ऐसा नहीं है कि भाजपा आलाकमान को हकीकत का अंदाजा नहीं है। बीजेपी अच्छी तरह मौजूदा हालात को समझ रही है और चुनाव से पहले NDA को और ज्यादा मजबूत कर लेना चाहती है।

पार्टी को इस दिशा में सफलता मिलती भी दिख रही है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का शुक्रवार को ऐलान हुआ।

इसके बाद एक तरह से बीजेपी और आरएलडी के बीच लोकसभा चुनाव में गठबंधन की पुष्टि हो गई। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी से गठबंधन को लेकर सवाल पूछा गया जिस पर उन्होंने कहा, ‘क्या अब भी कोई कसर रह जाती है।

आज मैं किस मुंह से आपके सवालों से इनकार करूं।’ मीडिया में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि RLD और BJP में सीट बंटवारे की बात भी फाइनल हो गई है।

आरएलडी को बागपत और बिजनौर लोकसभा सीट मिल सकती है। साथ ही केंद्र में सरकार बनने पर मंत्री पद भी ऑफर होगा। वहीं, बीजेपी को जाट वोटों को बंटने से रोकने में मदद मिलेगी। पश्चिमी यूपी में इससे भाजपा बढ़त में रह सकती है। 

दक्षिण भारत में TDP का साथ आना क्यों जरूरी 
अगर दक्षिण भारत की बात करें यहां 5 राज्यों (केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) में कुल मिलाकर 129 सीटें हैं। यहां एनडीए को कुछ हद तक कमजोर माना जा रहा है जिसे लेकर बीजेपी हाई कमान पूरी तरह से एक्टिव हो चुका है।

आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं जहां चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी इस बार बड़ी भूमिका निभा सकती है। ऐसे में TDP भाजपा के लिए बहुत खास हो जाती है। 400 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए नायडू की पार्टी का एनडीए में शामिल होना जरूरी माना जा रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिनों पहले नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात हुई थी। जानकारों का कहना है कि अगर इलेक्शन से पहले टीडीपी के एनडीए से जुड़ने का ऐलान हो गया तो भाजपा के लिए यह अच्छी खबर होगी। NDA गठबंधन YSR कांग्रेस शासित राज्य में बढ़त बना सकता है।