‘शंकर जी निकलने हैं, यह तय मानिए’; ज्ञानवापी मामले पर धीरेंद्र शास्त्री की बड़ी भविष्यवाणी…

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शनिवार को अपनी पुस्तक ‘सनातन धर्म क्या है’ का विमोचन किया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में…

‘शंकर जी निकलने हैं, यह तय मानिए’; ज्ञानवापी मामले पर धीरेंद्र शास्त्री की बड़ी भविष्यवाणी…

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शनिवार को अपनी पुस्तक ‘सनातन धर्म क्या है’ का विमोचन किया।

यह कार्यक्रम नई दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित किया गया। इस मौके पर धीरेंद्र शास्त्री ने ज्ञानवापी मस्जिद पर आए कोर्ट के फैसले को लेकर बड़ा बयान दे डाला।

उन्होंने कहा कि शंकर जी निकलने हैं, यह तय समझिए। उन्होंने कहा, ‘पहली बात तो यह कि ज्ञानवापी में नंदी भगवान निकल पड़े हैं। दूसरी बात यह है कि कोर्ट की मंशा पर सवाल उठाने का मतलब होगा कि आप उसे कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। इसका मतलब यह है कि आपको अपने आप पर भी भरोसा नहीं है। न्याय प्रणाली किसी पार्टी के अंतर्गत नहीं चलती, वो स्वतंत्र है।’

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, ‘तीसरी बात यह है कि ज्ञानवापी को लेकर अदालत का जो आदेश आया है वो एकदम सहज है। तहखाने में व्यास परिवार की ओर से पूजा हुई थी उस पर जो रोक लगाई गई उसे अब हटा दिया गया है।

अभी ज्ञानवापी का निर्णय नहीं आया है। शंकर जी निकलने हैं, यह तय है।’ सनातन को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमें पता चला कि देश में सनातन धर्म पर चर्चा करने वाले कुछ लोगों को सही जानकारी नहीं है।

वे लोग केवल सनातन-सनातन कहे जा रहे हैं। सनातन के अंग क्या हैं? सनातन के लक्षण क्या हैं? सनातन का सिद्धांत क्या है और सनातन किसे कहते हैं। ऐसे लोगों को इसकी सही जानकारी नहीं है। 

सनातन धर्म को लेकर धीरेंद्र शास्त्री ने पूछे सवाल 
बागेश्वर धाम के महंत ने कहा कि हम लोग सनातन की तुलना दूसरे मजहबों से कर रहे हैं जो कि कितनी उचित है और कितनी अनुचित? उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा, ‘सनातन का मूल क्या है? सनातन का उद्देश्य क्या है और सनातन का गुण क्या है?

मिठाई तो है मगर मिठास आने के गुण क्या हैं? सनातनी होने के 5 लक्षण क्या हैं? इस पुस्तक में इसी बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।’

उन्होंने कहा कि अगर किसी का जीव हिंसा धर्म है, तो अहिंसा सनातन धर्म है। शास्त्री ने बताया कि यह किताब उन्होंने दक्षिण राज्य में बीते 6 महीने पहले पांच दिन में भगवान हनुमान से मिली प्रेरणा से लिखी है।